Tuesday, March 22, 2011

परमाणु ऊर्जा

परमाणु ऊर्जा पर निर्भरता – गलत या स

Mar, 17 '11 Subject: Japan earthquake, Viewed by: 14

जापान में आए भूकंप और सुनामी ने वहॉ के परमाणु रिएक्टरों की बुनियाद हिला कर दी. रेडिएशन का खतरा सर पर है. नागरिकों को विस्थापित कर सुरक्षित ठिकानों की ओर ले जाया जा रहा है. पूरी दुनियां इस दुर्घटना से होने वाले भयावह परिणाम के प्रति टकटकी लगाए देख रही है. अभी भी ये निश्चित नहीं हो रहा है कि कितना नुकसान होना है!

निश्चित रूप से ये दुर्घटना दुनियां को परमाणु ऊर्जा के प्रयोग पर नए सिरे से सोचने को विवश करती है. ऐसे देश जहॉ भूकंप और सुनामी के खतरे ज्यादा हैं वहॉ पर परमाणु ऊर्जा का विकल्प कितना सुरक्षित होगा ये वाकई अभी भी अनुसंधान का विषय है. अगर जापान की बात करें तो वहॉ की भौगोलिक परिस्थितियां इस बात की बिलकुल इजाजत नहीं देतीं कि वह किसी भी प्रकार का परमाणु रिएक्टर संचालित करे और परमाणु ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाए लेकिन ये जापान की मजबूरी है कि यदि उसे अपनी अर्थव्यवस्था उन्नत बनाए रखनी है तो उसे प्रमाणु ऊर्जा का प्रयोग और भी अधिक बढ़ाना होगा. जापान सामान्य प्राकृतिक संसाधनों के मामले में एक गरीब देश है, ऐसे में ऊर्जा के अन्य विकल्प उसके लिए केवल मन बहलाव के साधन ही हो सकते हैं. जबकि विकास के लिए ढ़ेर सारी एनर्जी की जरूरत है. ऐसे में उसे अपनी ऊर्जा नीति को पुनः संरचित किए जाने की आवश्यकता होगी.

इसी परिप्रेक्ष्य में भारत की बात करें तो ऊर्जा के मामले में यहॉ की स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है. प्राकृतिक संसाधनों से लदे पड़े भारत को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के लिए ज्यादा मगजमारी करने की बजाय उनके विकास पर ध्यान देना चाहिए. हालांकि भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं के मामले में भारत की स्थिति जापान की तरह नहीं है और यहॉ पर किसी भूकंप या सुनामी के कारण परमाणु रिएक्टरों से रेडिएशन लीक होने की संभावना काफी कम है लेकिन एक बात हमेशा ध्यान में रखनी होगी कि जब जापान जैसा संसाधन संपन्न देश नाभिकीय सुरक्षा की उन्नत तकनीकें अपनाने के बावजूद असुरक्षित नजर आ रहा है तो भारत की क्या बिसात है.

इसलिए हमें भी परमाणु ऊर्जा के व्यापक प्रयोग की संभावनाएं तलाशने के साथ उसके सुरक्षित प्रयोग की जमीन तैयार करनी होगी. अभी भारत की नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित नीति में सुरक्षा की बातें ज्यादा हैं लेकिन हकीकत के पैमाने पर वे कितनी अंजाम दी गयी हैं खुदा जाने.

ध्यान रहे परमाणुवीय विकिरण किसी देश की भौगोलिक सीमा का पालन नहीं करते और किसी भी देश में होने वाला रेडिएशन पूरी दुनियां के लिए खतरा बन सकता है जैसा अभी संकेत मिल रहा है. जापान में होने वाले रेडियोधर्मी उत्सर्जन का असर रूस और अमेरिका को दहला रहा है तो फिर क्यों नहीं वक्त रहते हम भी चेतें, इसी में सबकी भलाई है.

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